संसार की रीत निराली (कविता)

संसार की रीत निराली
कहीं क्रन्दन कहीं दीवाली।
संसार की...

कहीं रंगे मन रंगों में
कहीं भटके मन होके वैरागी।
संसार की...

किसी को सौगात अश्कों की
कहीं कहीं विरानी,
कहीं खेले होली।
संसार की...

इक सिक्के के दो पहलू
एक का नाम दर्द एक का ख़ुशी।
संसार की...

एक ही समय कहीं जली चीता
कहीं मस्त मस्तानों की मस्ती।
संसार की...


रचनाकार : कमला वेदी
लेखन तिथि : 23 नवम्बर, 2010
यह पृष्ठ 221 बार देखा गया है
×

अगली रचना

पगली


पिछली रचना

वो दरख़्त
कुछ संबंधित रचनाएँ


इनकी रचनाएँ पढ़िए

साहित्य और संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता होती है। आपके द्वारा दिया गया छोटा-सा सहयोग भी बड़े बदलाव ला सकता है।

            

रचनाएँ खोजें

रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें