सपने (कविता)

सपने देखिए
सपने देखना अच्छी बात है,
पर सपनों को पंख भी दीजिए,
उड़ने के लिए खुला आकाश दीजिए।
सपनों को दायरे में न बाँधिए
खुलकर परवाज़ करने दीजिए,
सपने भी हक़ीक़त बनते हैं,
बस! उन्हें फलने-फूलने का
आधार तो दीजिए।
कौन कहता है
सपने सिर्फ़ सपने होते हैं
हक़ीक़त से मीलों दूर होते हैं,
सपनों को खुली आँँखों से
देखना तो सीखिए।
एक बार सिर्फ़ और सिर्फ़
सपनों को हक़ीक़त में
सच करने का जुनून तो कीजिए।
रक्तदान, नेत्रदान, अंगदान ही नहीं
देहदान का सपना तो पालिए,
सपने सच हो जाएँगे
मेरी तरह आप भी बस एक बार
तनिक हौसला तो कीजिए,
मरकर भी जीवित रहने का
फ़ैसला भर कीजिए।
विश्वास कीजिए
सपने हक़ीक़त बन जाएँगे,
मरने के बाद भी आप
संसार में ज़िंदा रह जाएँगे,
सूक्ष्म शरीर से ही सही
नाम ही नाम कमाएँगे,
आपके गुण गाए जाएँगे।


लेखन तिथि : 14 दिसम्बर, 2021
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