सारे रास्ते सुनसान है,
मंदिर भी वीरान है।
क़ैद हो गई ज़िंदगी,
हर इंसान परेशान है।
ये कैसी बीमारी आई,
ख़तरे मे सब की जान है।
कोरोना वायरस के आगे,
आज फेेेल विज्ञान है।
साहित्य और संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता होती है।
आपके द्वारा दिया गया छोटा-सा सहयोग भी बड़े बदलाव ला सकता है।