सरिता और जीवन (कविता)

जीवन एक सरिता है,
जिसका अंत भी निश्चित है।
कभी उमंगे, कभी तरंगे,
कभी रुकाव भी निश्चित है।
जीवन एक सरिता है।

यह कभी काल बन जाती है,
तो कभी प्यार बरसाती है।
यह जीवन की ही प्रतिमा है,
यह उसकी ही परछाई है।
जीवन एक सरिता है।

सरिता मैली हो जाती है,
जब वो युवावस्था में आती है।
वह सागर में मिल जाती है,
जब वृद्धावस्था पार कर जाती है।
जीवन एक सरिता है।

कितनी कठनाई से होते,
क्या सरिता को देखा है रोते।
रोना नहीं तुम भी जीवन में,
विपदाओं से परेशान क्यों होते।
जीवन एक सरिता है।


रचनाकार : दीपक झा 'राज'
लेखन तिथि : 14 जून, 2004
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