साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3561
देहरादून, उत्तराखण्ड
1911 - 1993
सींग और नाख़ून लोहे के बक्तर कंधों पर। सीने में सूराख़ हड्डी का। आँखों में ׃ घास-काई की नमी। एक मुर्दा हाथ पाँव पर टिका उलटी क़लम थामे। तीन तसलों में कमर का घाव सड़ चुका है। जड़ों का भी कड़ा जाल हो चुका पत्थर।
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