शादियाँ (कविता)

शादियाँ वास्तव में एक अनुबंध है
दो परिवारों, दो दिलों का,
जिसमें निभाई जाती हैं
परंपराएँ, धारणाएँ, मान्यताएँ।
निभाएँ जाते हैं आत्मीय संबंध
बिना किसी शर्त या स्वार्थ के
रिश्तों के नाम पर समर्पित
एक दूसरे के विश्वास पर।
अन्जाने स्त्री पुरुष जीते हैं
अपने अंतिम प्रस्थान तक,
सुख-दुख सहते मिल बाँटकर
संतति देकर प्रकृति की व्यवस्था को
आगे बढ़ाते हँस हँसकर।
समय की मार शादियाँ भी झेल रही हैं,
रिश्तों की अहमियत में
गर्म लहू प्रवेश कर रही है,
अब तो शादियाँ भी
अपनी गरिमा खो रही हैं,
समय की मार से शादियाँ भी
कहाँ बच पा रही हैं,
आधुनिकता के रंग में
शादियाँ भी रंगती जा रही हैं।
दो दिलों के मिलन में
अब तो दूरियाँ बढ़ रही हैं,
शादियाँ भी शायद
औपचारिकताओं के चक्रव्यूह में
अब फीकी-फीकी हो रही हैं।


लेखन तिथि : 6 मई, 2022
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