शाम (कविता)

अभी एक पत्ती गिरेगी
और शाम हो जाएगी
एक बच्चा गेंद के पीछे दौड़ेगा
कबूतर लौटकर आएँगे
और सामने की डाल पर बैठ जाएँगे
उस खिड़की से वह स्त्री झाँकेगी
और तहकर रख देगी बचपन को
अभी शाम होगी
और दुनिया के तमाम पुरुष
लौट आएँगे घरों को
घर की छतें थोड़ी और नुकीली हो जाएँगी
दूर बहती नदी
बहने का स्वाँग करेगी
एक मछली आख़िरी बार सूरज की तरफ़
लालच से देखेगी
और शरमाकर चली जाएगी भीतर
मिट्टी थोड़ी और मुलायम हो जाएगी
पेड़ थोड़ी देर के लिए छिपा लेंगे हरापन
एक तारा चुपके से निकलेगा
ट्यूशन से लौटती हुई लड़की
ठहर जाएगी गली के मोड़ पर
और रूमाल उठाने लगेगी
एक लड़का फ़िल्मी गीत गुनगुनाते हुए
उधर से गुज़रेगा

आख़िरी बार आवाज़ लगाएगा वह—
‘कबाड़ी वाला’
अभी साइकिल की घंटी बजेगी
और शाम हो जाएगी


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