साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3561
सुलतानपुर, उत्तर प्रदेश
1917 - 2007
शब्दों से कभी-कभी काम नहीं चलता जीवन को देखा है यहाँ कुछ और वहाँ कुछ और इसी तरह यहाँ-वहाँ हरदम कुछ और काई एक ढंग सदा काम नहीं करता तुम को भी चाहूँ तो छूकर तरंग पकड़ रखूँ संग कितने दिन कहाँ-कहाँ रख लूँगा रंग अपना भी मनचाहा रूप नहीं बनता।
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