शनासाई (नवगीत)

ऐनाकोंडा रातें
होंगे दिन
कसाई!

उमंगें मन की
बासन धोतीं!
है शादमानी
अखियाँ रोतीं!

अभिनंदन
के बदले में
है जग हँसाई!

मंगल क्षण
फूलों पर सोते!
खेद के झुरमुट
ब्यथा बोते!

चाँदनी और
अमावस में
न शनासाई!

घड़ियाल से
पानी में बैर!
भगवान से
मना रहे ख़ैर!

क्या करेंगे
बंदरों से
हम आशनाई!


लेखन तिथि : 5 मई, 2019
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