शरद का गीत (कविता)

गोबर लिपा मेरा शरद का आँगन
शरद के आँगन में प्रिया की रँगोली
प्रिया की रँगोली में दस-दस रंग
दस-दस रंगों में कातिक के फूल
फूलों भरा मेरा शरद का आँगन

शुरू कटाई
देखो तो बैलों की मदमाती चाल
अन्नपूर्णा गाड़ियों का साँझ ढले लौटना
किसिम-किसिम के नामों के धान
धानों भरा मेरा शरद का आँगन

शुरू मिंजाई
धानों पर चलती है गोल-गोल दँवरी
बैलो के खुरों से झड़ते हैं दाने
दानों के ढेर पर दसमत के फूल
दसमत के बीच जले घी का दियना
दियनों भरा मेरा शरद का आँगन।


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