स्मृति का एक टुकड़ा (कविता)

कल रात
दरिया किनारे
तुमने अपने मुलायम हाथ
मेरे कंधों पर रख दिए थे

चाँदनी की दूधिया सफ़ेदी
मुस्कुराई
दूब पर बिखर गई

तुमने कोई गीत गाया
सुंदर गीत,
सच, जिसकी कड़ियाँ मुझे अब याद नहीं!

पर,
चाँद
दूधिया चाँदनी
और, तुम्हारा आकंठ समाया स्नेह
अभी भी मेरी आँखों में तैर रहा है।


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