साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3561
ग्वालियर, मध्य प्रदेश
1933 - 2015
कल रात दरिया किनारे तुमने अपने मुलायम हाथ मेरे कंधों पर रख दिए थे चाँदनी की दूधिया सफ़ेदी मुस्कुराई दूब पर बिखर गई तुमने कोई गीत गाया सुंदर गीत, सच, जिसकी कड़ियाँ मुझे अब याद नहीं! पर, चाँद दूधिया चाँदनी और, तुम्हारा आकंठ समाया स्नेह अभी भी मेरी आँखों में तैर रहा है।
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