साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3561
छिंदवाड़ा, मध्य प्रदेश
1953
भयानक तूफ़ान के ऐन बीच कश्ती है मल्लाह है बेरहम लहरों से घिरा कश्ती में लोग हैं जिन्हें उस पार लगाना है एक कुएँ की तरह आकार लेती हिंसक लहरों में कश्ती है मल्लाह की कश्ती में डर से चीख़ते बच्चे हैं माँओं की गोद में ख़ौफ़ज़दा कश्ती को उलटने-डूबने से बचाता मल्लाह है समंदर में समंदर उनके बचने पर कहता है ‘सुब्हान अल्लाह'
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