सुब्हान अल्लाह (कविता)

भयानक तूफ़ान के ऐन बीच कश्ती है
मल्लाह है बेरहम लहरों से घिरा
कश्ती में लोग हैं जिन्हें उस पार लगाना है

एक कुएँ की तरह आकार लेती हिंसक लहरों में कश्ती है
मल्लाह की कश्ती में डर से चीख़ते बच्चे हैं
माँओं की गोद में ख़ौफ़ज़दा

कश्ती को उलटने-डूबने से बचाता मल्लाह है समंदर में
समंदर उनके बचने पर कहता है ‘सुब्हान अल्लाह'


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