साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3561
मधुबनी, बिहार
2004
यह जो तुम्हारा मेरा प्रेम है, यह काग़ज़ों तक सीमित नहीं। पुष्पों के सुगंध से भी परिभाषित नहीं॥ यह जो तुम्हारा समर्पण है, प्रशंसा इसके तुल्य नहीं। इसमें ना तो हार इसमें जीत नहीं॥ मैं तुमसे भौतिक रूप से ही दूर हूँ, पर हृदय से क़रीब कहीं। पा लेना प्रतिक्षण मुझे खो ना जाऊँ कहीं॥
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