साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3292
कटनी, मध्य प्रदेश | 1966
ठंड की ऋतु का अवसान हो गया। सर्द हवा, कुहरा है। जाड़ा तो दुहरा है।। बस कुछ दिन का मेहमान हो गया। स्वागतम् ऋतुराज का। सप्त स्वर में साज का।। फूलों का शर औ कमान हो गया।
अगली रचना
पिछली रचना
साहित्य और संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता होती है। आपके द्वारा दिया गया छोटा-सा सहयोग भी बड़े बदलाव ला सकता है।
रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें