सो रहा था संसार सम्पूर्ण, हो कर मूढ़ मति अज्ञान,
अवतरित हुए भारत की धरा पर, हमारे विवेकानंद महान।
दिग्भ्रमित विश्व वासियों को, दिया उन्होंने आत्मज्ञान,
आज जयंती स्वामी विवेकानंद की, राष्ट्र करता उन्हें प्रणाम।
नव भारत की अलख जलाकर, दिलाया विश्व में उच्च स्थान,
ज्योत जलाई नव चेतना की, किया नव भारत का निर्माण।
दिया सन्देश संसार को, "न रुको तब तक जब तक न मिले लक्ष्य",
आत्म चिंतन ही प्रगति का सार, दिया जग को सन्देश प्रत्यक्ष।
सत्कर्म की राह पर बढ़े थे, स्वामी विवेकानंद के पैर हरदम,
उन्ही के पद चिन्होँ पर चलकर, राष्ट्र बढ़ा रहा प्रगति के क़दम।
इंसानियत का पाठ पढ़ाया, युवा वर्ग को रास्ता दिखाया,
विश्व पटल पर विवेकानंद ने, भारतीयता का परचम फहराया।
आज उनकी पुण्य जयंती पर, राष्ट्र कर रहा उनको नमन,
स्वामी विवेकानंद को इस दिन, देश कर रहा सादर वंदन।
आत्म शक्ति के महामानव के, चुम रहा देश दोनों क़दम,
आओ इस पावन दिन पर, करें उनके गुणों का आचमन।

साहित्य और संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता होती है। आपके द्वारा दिया गया छोटा-सा सहयोग भी बड़े बदलाव ला सकता है।
सहयोग कीजिएप्रबंधन 1I.T. एवं Ond TechSol द्वारा
रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें
