तारीफ़ बताऊँ शेर की क्या क्या है
नग़्मों की सदाक़त इस से ख़ुद पैदा है
असलियत-ए-हाल जिस से मख़्फ़ी रह जाए
हुशियार कि वो शेर नहीं धोका है

अगली रचना
बदले न सदाक़त का निशाँ एक रहेपिछली रचना
साहित्य और संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता होती है। आपके द्वारा दिया गया छोटा-सा सहयोग भी बड़े बदलाव ला सकता है।
सहयोग कीजिएप्रबंधन 1I.T. एवं Ond TechSol द्वारा
रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें
