पत्रकार दादा बने, देखो उनके ठाठ।
काग़ज़ का कोटा झपट, करें एक के आठ॥
करे एक के आठ, चल रही आपाधापी।
दस हज़ार बतलाए, छपें ढाई सौ कापी॥
विज्ञापन दे दो तो, जय-जयकार कराए।
मना करो तो उल्टी-सीधी न्यूज़ छपाए॥
साहित्य और संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता होती है।
आपके द्वारा दिया गया छोटा-सा सहयोग भी बड़े बदलाव ला सकता है।