तेरी प्यास अमोल (गीत)

बटोही, तेरी प्यास अमोल,
तेरी प्यास अमोल!
नदियों के तट पर तू अपने
प्यासे अधर न खोल,
बटोही, तेरी प्यास अमोल!

जो कुछ तुझे मिला वह सारा
नाख़ूनों पर ठहरा पारा,
मर्म समझ ले इस दुनिया का
सिर्फ़ वही जीता जो हारा।

सागर के घर से दो आँसू—
का मिलना क्या मोल।

जल की गोद रहा जीवन भर
जैसे पात हरे पुरइन के
प्यास निगोड़ी जादूगरनी
जल से बुझे न जाए अगिन से।

जल में आग आग में पानी
और न ज़्यादा घोल!
बटोही, तेरी प्यास अमोल,
तेरी प्यास अमोल!


रचनाकार : शतदल
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