ठंडी ठंडी नर्म हवा का झोंका पीछे छूट गया (ग़ज़ल)

ठंडी ठंडी नर्म हवा का झोंका पीछे छूट गया
जाने किस वहशत में घर का रस्ता पीछे छूट गया

बच्चे मेरी उँगली थामे धीरे धीरे चलते थे
फिर वो आगे दौड़ गए मैं तन्हा पीछे छूट गया

अहद-ए-जवानी रो रो काटा 'मीर'-मियाँ सा हाल हुआ
लेकिन उन के आगे अपना क़िस्सा पीछे छूट गया

पीछे मुड़ कर देखेगा तो आगे बढ़ना मुश्किल है
मैं ने कितनी बार कहा था देखा? पीछे छूट गया

सर-ता-पा सैलाब थे 'ख़ालिद' चारों जानिब दरिया था
प्यास में जिस दिन शिद्दत आई दरिया पीछे छूट गया


रचनाकार : ख़ालिद महमूद
  • विषय : -  
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