सुनो वृषभानु कुमारी, राधिका प्यारी
तोहरो पंथ निहारी, अँखियाँ दुखारी
म्हाने मत भी सताओ, नैनन समाओ
करो न देर अब आओ, राधिका आओ
म्हाने राधिका परसों, श्याम कहत रहा
कोई ऐसो गीत-गा, यार उण न दिखा
सुना पायल री छन-छन, वो मधुर खन-खन
एक ऐसी तान सुना, जाये महक मन
तोहरो रूप गढूँ मैं, राधिका प्यारी
कल-फिर कहत रहा मुझे, श्याम-बनवारी
आओ राधिका आओ, नैनन समाओ
म्हारे हिय में उतर थे, गीत बन जाओ
लेखन तिथि : 2 मार्च, 2024
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छंद : राधिका छंद
(13, 9 मात्रा पर विराम कुल चार पंक्ति (22मात्रा))