तू समझता है कि रिश्तों की दुहाई देंगे (ग़ज़ल)

तू समझता है कि रिश्तों की दुहाई देंगे
हम तो वो हैं तिरे चेहरे से दिखाई देंगे

हम को महसूस किया जाए है ख़ुश्बू की तरह
हम कोई शोर नहीं हैं जो सुनाई देंगे

फ़ैसला लिक्खा हुआ रक्खा है पहले से ख़िलाफ़
आप क्या ख़ाक अदालत में सफ़ाई देंगे

पिछली सफ़ में ही सही है तो इसी महफ़िल में
आप देखेंगे तो हम क्यूँ न दिखाई देंगे


रचनाकार : वसीम बरेलवी
  • विषय : -  
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