तुम दरिया के पार प्रिय (दोहा छंद)

आशा मन साजन मिलन, सजूँ सनम शृंगार।
नज़र टिकी आगम प्रियम, बस दरिया के पार॥

फिर सावन आया मधुर, सजी वृष्टि बारात।
घन-घन गरजे बिजुरिया, फँसी सजन जज़्बात॥

तुम दरिया के पार प्रिय, हम दरिया इस पार।
विरहानल दिल जल रहा, बरस प्रीत जलधार॥

भींगी सावन सजन मैं, रिमझिम वृष्टि फुहार।
आओ दरिया पार प्रिय, हमदम हो गलहार॥

मनमोहन साजन मदन, गुलशन कर दिलदार।
फँसी आज दरिया सनम, बनो प्रीत पतवार॥

बही विरह दरिया सनम, बारिश मूसलाधार।
माँझी बन तारो प्रियम, तुम सजनी आधार॥

तुम जीवन मनमीत हो, मैं जीवन संगीत।
आ दरिया के पार प्रिय, बनूँ प्रीत नवनीत॥

तुम बिन प्रियतम ज़िंदगी, बेबस दरिया पार।
मधु सावन स्वागत प्रियम, दो ख़ुशियाँ उपहार॥

अश्क नैन भींगे पलक, पीन पयोधर भार।
प्रेमातुर साजन मिलन, करो चमन गुलज़ार॥

घटा व्योम बरसे जलज, करे वृष्टि अभिसार।
करे हास परिहास प्रिय, दादुर जल चित्कार॥

सावन मासी पूर्णिमा, चन्द्रकला उजियार।
बीच-बीच जुगनू जले, करे प्रीत धिक्कार॥

हारी मैं बालम प्रिये, तुम दरिया दिलदार।
सजूँ नवल परिधान फिर, मधु सावन शृंगार॥

दरिया दिल हम दम मिलें, आलिंगन बरसात।
तन मन प्रियतम गुलबदन, भींगू गुलशन रात॥

समझो सजनी विहरिणी, मैं दरिया के पार।
आग लगी दिल विरह मन, किन्तु अभी लाचार॥

मानो प्रियतम की कशिश, आतुर मिलन मिठास।
पर परदेशी हूँ विवश, तुम बिन हृदय खटास॥

निशि वासर चिन्तन प्रिये, मधुरिम तेरी याद।
तन्वी श्यामा दर्शना, कौन सुने फ़रियाद॥

आया सावन झूम कर, बीत गया मधुमास।
तरस रहा हमदम वदन, चुम्बन गाल विलास॥

तुम जीवन की चन्द्रिका, मैं प्रियतम चितचोर।
मैं दरिया के पार प्रिय, नहीं समझ रणछोर॥

विरह प्रीत की बाढ़ मन, मिलन आश तूफ़ान।
संयम धीरज हिय स्खलन, ज्वाल विरह अवसान॥

तुम दरिया के पार सखि, कैसे दूँ उपहार।
रखो आश होगा मिलन, सावन प्रीत बहार॥


लेखन तिथि : 16 जुलाई, 2022
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