तुम जब हँसती हो (कविता)

तुम जब हँसती हो तो आ जाती है
धूप में अनोखी चमक
जल में विरल तरलता
हवा में अद्भुत उल्लास
गुलाबों में सिहरन
पेड़ों में हरा उजास
तुम जब हँसती हो तो बढ़ जाती है
नक्षत्रों की कांति
नदियों में विपुल जल
ख़बरों में अवकाश
बादलों में बारिश
घरों में सुख-चैन

तुम जब हँसती हो तो गाती है
देह में सर्पिलता
लहू में रक्तिम आभा
मन में अनंत इच्छाएँ
आत्मा में अमरता
अस्थि-मज्जा में जिजीविषा
तुम जब हँसती हो तो भर जाता है
स्त्रियों में लबालब प्यार
पुरुषों में विनम्र अनुरोध
पिता में पुरुषार्थ
माँ में मनुहार
संतति में परिष्कार
तुम जब हँसती हो तो उठती है
मिट्टी से सौंधी गमक
बस्तियों से भोज की गंध
दिनों में मशक़्क़त और अट्टहास
रातों में स्वप्न और आमंत्रण
धमनियों में उद्दाम वेग
तुम जब हँसती हो तो जागती है
घोड़ों में हिनहिनाहट
दोस्तों में दोस्ती
दुश्मनों में दुश्मनी
पंडितों में चतुराई
ईश्वर में करुणा
तुम जब हँसती हो तो ढँक जाती है
नग्नता आवरण से
आवरण निर्वस्त्रता से
होंठ चुंबनों से
आकाश ग्रह-नक्षत्रों से
धरती धन-धान्य से


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