तुम्हारे बारे में (कविता)

सहजन की फलियाँ लेते आना
अगर तुम आओ
फूलों की सब्ज़ी से मेरा जी भर गया है

क़स्बे की हाट में मिलती हैं
गंदे नाले की भाजी
तुम मोरेल से लाना बिल्कुल ताज़ी

कानों में छेद न करना पड़े जिनके लिए
नाक में भी चुभे नहीं
ऐसी बालियाँ लेकर आना तुम
अगर गणगौर के मेले जाओ

कितने कम रहते हो तुम मेरे पास
नहीं तो मँगाती ही रहूँ
कुछ न कुछ रोज़ मैं तुमसे

पीली लूगड़ी ज़रूर ले आना इस बार
जिसमें अच्छे क़सीदे हो
आखातीज पर भाई का ब्याव है
मेरी सहेलियाँ तुमको उलाहना देगी

क्यों नहीं तुम लूगड़ी के फूल हो जाते
मैं तुमको ही माथे पर ओढ़ लेती

इन दिनों रोज़ दिन-रात
मैं इसी चिंता में रहती हूँ
जब तुम परदेश चले जाओगे
तब मेरे लिए अमरूद कौन लाएगा


रचनाकार : विजय राही
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