तुम्हारी नहीं पर जवानी लिखी है,
इबारत किसी की पुरानी लिखी है।
मेरी डायरी में नहीं शायरी तो,
तुम्हारी ही कोई निशानी लिखी है।
नयन की नदी जो कहीं खो गई है,
नहीं उसकी मैंने रवानी लिखी है।
मेरे सच को भी तुम नहीं मानते हो,
मगर उसकी झूठी कहानी लिखी है।
गुज़ारी नहीं जा सकी थी जो हमसे,
वही रात हमने सुहानी लिखी है।
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