उड़ाने सभी आसमानो में है,
आज पंछी सभी ठिकानो में है।
आँगन में चुगते रहे सारा दिन,
उनकी ज़िंदगी उन दानो में है।
चुनाँचे तन-मन की तरो ताज़गी,
चाय के फैले बाग़ानो में है।
जितनी मिठास परिहासों में नहीं,
वह अपनापन यहाँ तानो में है।
कुंडली मारकर बैठी उदासी,
ख़ुशी दूर बजते तरानो में है।
साहित्य और संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता होती है। आपके द्वारा दिया गया छोटा-सा सहयोग भी बड़े बदलाव ला सकता है।
सहयोग कीजिएरचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें