साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3564
कटनी, मध्य प्रदेश
1966
उम्मीद पर करने लगी संवेदना हस्ताक्षर। हैं ख़्वाब आँखों के पखेरू हो गए। विश्वास के पर्वत सुमेरू हो गए।। आशा अँगूठा छाप थी अब हो गई है साक्षर। पल्लव को हरियाली रही है दुलार। छलक पड़ा ऋतुओं का मौसम से प्यार।। चमकीले हैं मोती जैसे चौपाई के अक्षर।
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