साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3561
सुलतानपुर, उत्तर प्रदेश
1917 - 2007
चोट जभी लगती है तभी हँस देता हूँ देखने वालों की आँखें उस हालत में देखा ही करती हैं आँसू नहीं लाती हैं और जब पीड़ा भर जाती है बेहिसाब तब जाने-अनजाने लोगों में जाता हूँ उनका हो जाता हूँ हँसता हँसाता हूँ।
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