उनका हो जाता हूँ (कविता)

चोट जभी लगती है
तभी हँस देता हूँ
देखने वालों की आँखें
उस हालत में
देखा ही करती हैं
आँसू नहीं लाती हैं

और
जब पीड़ा भर जाती है
बेहिसाब
तब
जाने-अनजाने लोगों में
जाता हूँ
उनका हो जाता हूँ
हँसता हँसाता हूँ।


रचनाकार : त्रिलोचन
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