उपदा केवल खाम ख़याली है (सजल)

उपदा केवल खाम ख़याली है,
सियासत में मंत्री मवाली है।

अभिनन्दन जहाँ होना चाहिए,
माहौल ने ताना दुनाली है।

अटैची नोटों की है मिल गई,
देखा तो हर रुपया जाली है।

मंत्र मुग्ध हो गया वातावरण,
है कीर्तन या फिर क़व्वाली है।

महानगर की क़िस्मत को देखो,
उखड़ी सड़क औ बदहाली है।

उबरे न जबकि दफ़्तरशाही से,
हँस-हँस देता अमला ताली है।


लेखन तिथि : 15 अगस्त, 2019
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