उसे ले गए (कविता)

अरे कोई देखो
मेरे आँगन में कट कर
गिरा मेरा नीम

गिरा मेरी सखियों का झूलना
बेटे का पलना गिरा

गिरी उसकी चिड़ियाँ
देखो उड़ा उनका शोर
देखो एक घोंसला गिरा
देखो
वे आरा ले आए ले आए कुल्हाड़ी
और रस्सा ले आए उसे बाँधने
देखो कैसे काँपी उसकी छाया
उसकी पत्तियों की छाया
जिनसे घाव मैंने पूरे

देखो कैसे कटी उसकी छाल
उसकी छाल में धँसी कुल्हाड़ी की धार
मेरे गीतों में धँसी मनौती में धँसी
मेरे घावों में धँसी
कुल्हाड़ी की धार

बेटे ने गिन लिए रुपए
मेरे बेटे ने
देखो उसके बाबा ने कर लिया हिसाब
उसे ले गए
जैसे कोई ले जाए लावारिस लाश
घसीट कर
ऐसे उसे ले गए
ले गए आँगन की धूप छाँह सुबह शाम
चिडि़यों का शोर
ले गए ऋतुएँ
अब तक का संग साथ सुख दुख सब जीवन
ले गए।


रचनाकार : नरेश सक्सेना
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