साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3561
शिवहर, बिहार
1996
वर्षों बीत गए तुम्हारी याद में, डूबती नैना उमरता हृदय भावुक मन लिए। कहाँ जाऊँ? किसको सुनाऊँ? मन का विरहा मन को सुनाऊँ। चहुँओर अँधेरा फैल रहा मन के प्रकाश पुंज में, भाव विभोर हो रहा मन आँगन के कोने में। वर्षों बीत गए तुम्हारी याद में, डूबती नैना उमरता हृदय भावुक मन लिए।
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