शुक्लपक्ष दिन पञ्चमी, वासंती मधुमास।
सरस्वती पूजन सविधि, अरुणिम ज्ञान प्रभास॥
करो कृपा माँ शारदे, मिटा त्रिविध मन पाप।
सदाचार जीवन चरित, हरो मोह मद ताप॥
हंसवाहिनी ज्ञानदा, श्वेताम्बुज शुभ वेद।
वसन्त पंचमी साधना, करें असुर नर देव॥
बनो ज्ञान रक्षा कवच, समर कुमति अज्ञान।
भरो शारदे अरुणिमा, विजय सुपथ यश मान॥
आराधक नर देवता, ज्ञान शक्ति अवलम्ब।
अन्धकार अज्ञानता, दूर करो जगदम्ब॥
सदा सर्वदा भारती, कृपासिंधु जगधार।
ज्ञान चतुर्दश वाहिनी, सोलह कला अपार॥
नृत्य गीत संगीत स्वर, नवरस गुण ध्वनि रीति।
सप्त सिन्धु जय भारती, अलंकार उद्गीति॥
सरस्वती वरदे शुभे, दे सन्नधि माँ ज्ञान।
ब्रह्माणी कमला धवल, स्वस्ति लोक प्रतिमान॥
वर दो वीणावादिनी, रचूँ सुयश परमार्थ।
सकल विषम बाधा सुपथ, दो प्रकाश पुरुषार्थ॥
दीप शिखा जीवन जले, विद्या रत्न महान।
नित अपूर्व अक्षय सदा, बढ़े ज्ञान व्यय मान॥
करो प्रकाशित ज्ञानदा, लोभ मोह मद शोक।
संस्कार संस्कृति वतन, मानवता आलोक॥
आराधन माँ भारती, वेद सनातन रीति।
हंसवाहिनी शारदे, बरसो विद्या प्रीति॥
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