साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3561
गोण्डा, उत्तर प्रदेश
1947 - 2011
वेद में जिनका हवाला हाशिए पर भी नहीं, वे अभागे आस्था-विश्वास लेकर क्या करें। लोकरंजन हो जहाँ शंबूक वध की आड़ में, उस व्यवस्था का घृणित इतिहास लेकर क्या करें। कितना प्रतिगामी रहा भोगे हुए क्षण का यथार्थ, त्रासदी कुंठा घुटन संत्रास लेकर क्या करें। गर्म रोटी की महक पागल बना देती मुझे, पारलौकिक प्रेम का मधुमास लेकर क्या करें।
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