विश्वास (कविता)

विश्वास का बीज मुश्किल है बोना
ज़िंदगी की धरा में पिरोना
मिल जाए विश्वास एक बार
फिर उस विश्वास को न खोना।

टूटे विश्वास, जुड़े न बार-बार
लगे जब दग़ा का प्रहार
हर वार पर दर्द बेशुमार
विश्वास रण पर लगे,
अविश्वास की मार
चोट लगे, अथाह, पार।

विश्वास की आस पर
टिकी दुनिया की नीव है
विश्वास के सफ़र में
हर मोड़ पर है यक़ीन
विश्वास टूटे जल्द,
धागा बहुत महीन।


लेखन तिथि : 2021
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