वृक्ष (कविता)

वृक्ष में यह किसका सिसकना है जिसे पक्षी दिन-रात दानों की तरह चुगते हैं, जिसे पत्ते अपनी सरसर से निरंतर ढाँके रखते हैं, जिसे आग अपने में लपेट कर राख में छिपा देती है, हर बार।


रचनाकार : उदयन वाजपेयी
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