साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3561
जयपुर, राजस्थान
1952
हाँ, वही पत्थर जो कभी टूटता था महाकवि के हृदय पर मैं भी शमशेर बहादुर सिंह के पत्थर को थोड़ा-बहुत जानता हूँ अगर एक कवि हूँ : जानना ही चाहिए मुझे अन्य को भी अपनी ही तरह अगर महाकवि होने की आकांक्षा में हूँ तो अब तक कभी का टूट जाना था पहले शमशेर बहादुर सिंह से पहले वही पत्थर मेरे हृदय पर!
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