वल्लाह किस जुनूँ के सताए हुए हैं लोग (ग़ज़ल)

वल्लाह किस जुनूँ के सताए हुए हैं लोग,
हमसाये के लहू में नहाए हुए हैं लोग।

ये तिश्नगी गवाह है घायल है इनकी रूह,
चेहरे ही तबस्सुम से सजाए हुए हैं लोग।

ग़ैरत मरी तो वाक़ई इंसान मर गया,
जीने की सिर्फ़ रस्म निभाए हुए हैं लोग।

कहने को कह रहे हैं मुबारक हो नया साल,
खंज़र भी आस्तीं में छुपाए हुए हैं लोग।


रचनाकार : अदम गोंडवी
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