वापस आ जाना (कविता)

मेरे बिन जब रहा न जाएँ,
जुदाई मुझसे सहा न जाएँ।
भूल हमारी तू-तू, मैं-मैं,
एक आवाज़ लगाके जाना।।

दिल में लिए मिलन की चाह,
अपनी तड़प दिखाऊँ किसको।
बिन तुम मेरी रजनी कैसी,
अपनी व्यथा सुनाऊँ किसको।।

तोड़ मौन भरी अपनी चुप्पी,
नेह के दो शब्द कह जाना।
सुध तुम्हे मेरी यदि आ जाएँ,
लौट तुम वापस आ जाना।।

सुनो, तेरी यादों में हरपल,
नीर बहाती मेरी अँखियाँ।
चूक मेरी या दूजी बातें,
निसंकोच तुम कहो कृपया।।

गर कुछ चूक हुई है मुझसे,
अबोध समझ बिसरा देना।
गर मेरी चाह तुम्हे भी,
लौट तुम वापस आ जाना।।


रचनाकार : अंकुर सिंह
लेखन तिथि : 22 अक्टूबर, 2021
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