वे मुझसे झूठ बोलते हैं (कविता)

वे मुझसे झूठ बोलते हैं
और मैं उनका भरोसा करता हूँ
कि वे मुझसे झूठ बोलते हैं

वे मुझसे झूठ बोलते हैं
कहते हैं कि कल सूर्योदय हुआ था
इसीलिए एक औरत संदर्भ के इंतज़ार में
आज तीन सौ पैंसठ किलोमीटर आगे है
हम और अँधेरे का बंद-समय

ये मुझसे झूठ बोलते हैं
कि आगे बदबू नहीं है सरासर
पवित्र-वाक्यों का-बग़ीचा है कोई
और मनुष्यों के शरीर नहीं जला रहे!
नहीं बरस रहे बम बच्चों पर!

उनका कहना है इस दृश्य में
कि रोटी के प्रेम में निर्णय की घड़ी
और निर्णय की घड़ी में रोटी पेड़ पर
ज़रूरी नहीं हाथ, पेट अथवा मुँह बताओ
वे मुझसे झूठ बोलते हैं

सचमुच वे मुझसे झूठ बोलते हैं
मुस्कुराते हैं इस तरह कि मेरी प्रेमिका फ़रार हुई
लेकिन अभी-अभी वह मेरे क़रीब थी और है
कि मैं उसे महसूस करता हूँ अकेले में
और परदे की जगह ख़ामोशी

कब हुआा है इस क़दर ग़दर
जो कल रात मेरे शामिल नहीं होने से हुआा
पानी और जंगल जगह बदलते हैं सिर्फ़
और वे मुझसे झूठ बोलते हैं इस हद तक
कि वहॉं हॉं वहॉं मेरा हाथ था

वे मुझसे झूठ बोलते हैं
और मैं उनका भरोसा करता हूँ
कि वे मुझसे झूठ बोलते हैं।


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