साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3561
जयपुर, राजस्थान
1993
वो धूप अच्छी थी, जिसमें किसान के पसीने से, फ़सल लहलहा उठी। वो धूप अच्छी थी, जिसके ढलने पर प्रेम करता पक्षियों का जोड़ा शिकारी की नज़र से बच सका। वो धूप भी अच्छी थी, जो बरसात के बाद निकली, ताकि इंतज़ार करती प्रेमिकाएँ, अपने प्रेमियों से मिल सके।
पिछली रचना
साहित्य और संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता होती है। आपके द्वारा दिया गया छोटा-सा सहयोग भी बड़े बदलाव ला सकता है।
रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें