साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3571
जयपुर, राजस्थान
1993
वो धूप अच्छी थी, जिसमें किसान के पसीने से, फ़सल लहलहा उठी। वो धूप अच्छी थी, जिसके ढलने पर प्रेम करता पक्षियों का जोड़ा शिकारी की नज़र से बच सका। वो धूप भी अच्छी थी, जो बरसात के बाद निकली, ताकि इंतज़ार करती प्रेमिकाएँ, अपने प्रेमियों से मिल सके।
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