यह फागुनी हवा
मेरे दर्द की दवा
ले आई... ई... ई... ई
मेरे दर्द की दवा!
आँगनऽऽ बोले कागा
पिछवाड़े कूकती कोयलिया
मुझे दिल से दुआ देती आई
कारी कोयलिया-या
मेरे दर्द की दवा
ले के आई-ई-दर्द की दवा!
वन-वन
गुन-गुन
बोले भौंरा
मेरे अंग-अंग झनन
बोले मृदंग मन—
मीठी मुरलियाँ!
यह फागुनी हवा
मेरे दर्द की दवा लेके आई
कारी कोयलिया!
अग-जग अँगड़ाई लेकर जागा
भागा भय-भरम का भूत
दूत नूतन युग का आया
गाता गीत नित्य नया
यह फागुनी हवा...!