ये दिन (कविता)

हत्याएँ होती हैं रक्तहीन
मृतक के सिरहाने हम रख जाते हैं फूल
कोमल सुंदर
चुप रहकर फूल बढ़ाते हैं
मृतक का सम्मान
एक बेचैन पक्षी तोड़ता है सन्नाटा
एक मृत्यु में छिपी होती है कई मृत्यु

हम करते हैं रक्तदान
दिन कोमल और सुंदर
नवजात शिशु के रुई से बाल जैसे
कोई नहीं है इस वक़्त
कोई बात नहीं
यह उदास-शिशु से दिन
ख़ामोशी की तीव्र भागदौड़
टूटता सन्नाटा
एक और मृत्यु रक्तहीन
रंगहीन यह दुनिया

चटक लाल पक्षी
प्रतीक्षाहीन शिशु भविष्य
स्थगित वर्तमान
ठहराव के कँटीले तारों से
उलझी हर साँस
फँसावट में
हर रेशमी उलझन
हर उलझन के कई-कई नाम

ख़ून में लिपटी चादर
काले स्याह धब्बे से
स्मृतियों में बढ़ गए दुख के फफोले
एक चीख़ भर प्रतिरोध
फेफड़े में भर देते हैं साँस

कौन कहाँ इस वक़्त
एक हल्की-सी आहट की तरह
प्रवेश करता स्वप्न में
स्वप्न के सारे राज़ छिपाती
एक चमकीली सुबह में खुल सकता है कुछ भी
ख़रगोश के मुलायम कानों की ऐंठन की तरह
खुलता है सुबह का दरवाज़ा
भीतर प्रवेश करता है एक दिन
चौकन्ना हिरण
कुलाँचे भरता है


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