युवा शक्ति (कविता)

आह्वान कर युवा शक्ति का
स्वदेश ने तुम्हे पुकारा है,
भूख ग़रीबी भ्रष्टता मिटाना
अब संकल्प तुम्हारा है।

अदम्य शक्ति को स्मरण कर
अपना क़दम बढ़ाना होगा,
अतीत के कटु अनुभवों से
सबक़ ले आगे आना होगा।

नीतियों का यह जर्जर ढाँचा
तुमको अब ढहाना होगा,
नई क़लम व नई सोच से
नया संसार बसाना होगा।

तोड़कर सब रूढिवादी दीवारें
नवीन विश्व बनाना होगा,
ज्ञान विज्ञान धर्म अध्यात्म से
जग सुन्दर सजाना होगा।

अवगुणों की देकर आहुतियाँ
सद्गुणों को अपनाना होगा,
शिक्षा के सर्वोच्च शिखर पर
अपना ध्वज फहराना होगा।

राष्ट्र प्रगति के समस्त मार्ग
युवा शक्ति से बनाना होगा,
माता-पिता की सेवा करके
मातृ-पितृ ऋण चुकाना होगा।

स्वदेश की रक्षा की ख़ातिर
तुमको सर्वस्व लगाना होगा,
अपने विचारों व बाहुबल से
शत्रु का वजूद मिटाना होगा।

सर्वकल्याण मंत्र कर धारण
जग को राह दिखाना होगा,
मेरे देश की युवा शक्ति को
अब भूमिका में आना होगा।।


रचनाकार : सीमा 'वर्णिका'
लेखन तिथि : 2 जनवरी, 2021
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