साहित्य रचना : साहित्य का समृद्ध कोष
संकलित रचनाएँ : 3561
कटनी, मध्य प्रदेश
1966
ज़हन होगा प्रखर अब तो, सुहाना है सफ़र अब तो। यहाँ माहौल ऐसा है, सुख़न की है लहर अब तो। ख़ुशी से हैं लबालब पल, हुए उत्सव पहर अब तो। कहानी बन गई उनकी, पराया सा शहर अब तो। कहाँ तक पथ निहारूँ मैं, न कोई है ख़बर अब तो।
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