ज़माना तो सितमगर है (ग़ज़ल)

ज़माना तो सितमगर है,
हवाओं का यहाँ डर है।

जहाँ में बस झमेले हैं,
अमन को चाहने घर है।

डकैती पड़ गई होगी,
अगरचे पास में ज़र है।

बहारें क्यों बुलाएँगीं,
समय को मान लो खर है।

दुआएँ साथ लेता जा,
अमंगल सामने गर है।


यह पृष्ठ 162 बार देखा गया है
अरकान : मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन
तक़ती : 1222 1222
×

अगली रचना

पंख को आसमाँ चाहिए


पिछली रचना

जीवन तो इक अफ़साना है
कुछ संबंधित रचनाएँ


इनकी रचनाएँ पढ़िए

साहित्य और संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता होती है। आपके द्वारा दिया गया छोटा-सा सहयोग भी बड़े बदलाव ला सकता है।

            

रचनाएँ खोजें

रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें