ज़िम्मेदारी (गीत)

फ़ैशन करना वो क्या जानें, जिनपर घर की ज़िम्मेदारी।

क्या जाने हम नेक अनाड़ी,
महँगा फोन अपाचे गाड़ी।
नही गया होटल में खाने,
पिज़्ज़ा बर्गर बीयर ताड़ी।
हम सिम्पल लड़के हैं हमको, चुपड़ी रोटी अतिशय प्यारी।
फ़ैशन करना वो क्या जानें, जिनपर घर की ज़िम्मेदारी।

देखी जब घर में लाचारी,
निकल गयी सारी मक्कारी।
जब से ज़िम्मेदार हुए हम,
भूल गए सब दुनियादारी।
अब तो केवल याद यही है, किसकी कितनी बची उधारी।
फ़ैशन करना वो क्या जानें, जिनपर घर की ज़िम्मेदारी।

होती नही ज़रूरत पूरी।
इच्छाएँ सब रहीं अधूरी।
अक्सर मिडिल क्लास के लड़के
झेल रहे हर इक मजबूरी।
जाते हैं परदेश छोड़ घर, करते रोज परिश्रम भारी।
फ़ैशन करना वो क्या जानें, जिनपर घर की ज़िम्मेदारी।


लेखन तिथि : 25 अगस्त, 2021
यह पृष्ठ 257 बार देखा गया है
×


इनकी रचनाएँ पढ़िए

साहित्य और संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता होती है। आपके द्वारा दिया गया छोटा-सा सहयोग भी बड़े बदलाव ला सकता है।

            

रचनाएँ खोजें

रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें