एक पल की ज़िंदगी
उदास सन्नाटे में खनकी
पायल की महीन आवाज़ जैसी
सुनसान अँधेरे उगलते वीराने से दिखती
दूर गाँव में टिमटिमाती दीपक की लौ जैसी
सर्दी में खेत रखाते किसान के लिए
जलते अलाव जैसी
पीहरगामी पत्नी की याद में उदास
आकाश ताकते मज़दूर की
सुलगती बीड़ी जैसी
फ़ाक़ाकशी वाले घर में
पेड़ पर लगे पपीते की घौर जैसी
या उमस भरी दुपहरी में
मलयानिल के झोंके से क्षण भर को हिले
गुलदुपहरी के नन्हे फूल जैसी
उम्मीदों से भरी
छोटी और ख़ूबसूरत होनी चाहिए
साहित्य और संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता होती है। आपके द्वारा दिया गया छोटा-सा सहयोग भी बड़े बदलाव ला सकता है।
सहयोग कीजिएरचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें