ज़िंदगी का स्वाद (कविता)

तुम्हारे होंठों को
देखने से पहले मैं नहीं जान पाया था
कि गुलाब इतना सुंदर क्यों होता है

तुम्हारे होंठों को छूने से पहले
मैं नहीं जान पाया था
कि गुलाब की पंखड़ियाँ इतनी नाज़ुक क्यों होती हैं

लेकिन
तुम्हारे होंठों को चूमने से पहले
मैं जान गया था
कि ज़िंदगी का स्वाद आख़िर इतना कसैला क्यों है...


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