हर एक के लिए
अलग रूप है ज़िंदगी
किसी के लिए यह जन्नत है तो
किसी के लिए जहन्नम है ज़िंदगी...!
जहाँ बेरोज़गार के लिए
रोज़गार है ज़िंदगी,
वहीं प्यासे के लिए
नीर भी है ज़िंदगी...!
जहाँ भूखे के लिए
रोटी है ज़िंदगी,
वहीं मरीज़ के लिए
दवाई भी है ज़िंदगी...!
जहाँ किसान के लिए
खेत है ज़िंदगी,
वहीं बेघर के लिए
घर भी है ज़िंदगी...!
मजबूरी में बनते ताक़त
बिगड़ते हालातों का
हिसाब भी है ज़िंदगी,
संघर्ष ही तो इसका सार है
बीन इसके निराधार है ज़िंदगी...!
साहित्य और संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता होती है। आपके द्वारा दिया गया छोटा-सा सहयोग भी बड़े बदलाव ला सकता है।
सहयोग कीजिएरचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें