Sandesh Image

जीवन में साहित्य का स्थान - प्रेमचंद

साहित्य का आधार जीवन है। इसी नींव पर साहित्य की दीवार खड़ी होती है, उसकी अटारियाँ, मीनार और गुम्बद बनते हैं; लेकिन बुनियाद मिट्टी के नीचे दबी पड़ी है। उसे देखने को भी जी नहीं चाहेगा। जीवन परमात्मा की सृष्टि है; इसलिए अनन्त है, अबोध है, अगम्य है। साहित्य मनुष्य की सृष्टि है; इसलिए सुबोध है, सुगम है और मर्यादाओं से परिमित है। जीवन परमात्मा को अपने कामों का जवाबदेह है या नहीं, हमें मालूम नहीं, लेकिन साहित्य तो मनुष्य के सामने जवाबदेह है। इसके लिए क़ानून है जिनसे वह इधर-उधर नहीं हो सकता। जीवन का उद्द...
Sandesh Image

हिन्दी-साहित्य - प्रवीन 'पथिक'

स्त्रोतस्विनी की क्षीण धारा की भाँति साहित्य का भाव भी पहले अत्यंत सूक्ष्म तदनंतर विस्तृत होता गया। विभिन्न विद्वानों ने साहित्य को भिन्न-भिन्न भावों से अपनी अभिव्यक्ति प्रदान की। महावीर प्रसाद द्विवेदी ने साहित्य को ज्ञानराशि का संचित कोष माना तो आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के शब्दों में, "प्रत्येक देश का साहित्य वहाँ की जनता की चित्तवृत्ति का संचित प्रतिबिम्ब होता है" वस्तुतः यह सर्वग्रह्य स्वीकृति है कि साहित्य समाज का दर्पण होता है, यह भाषा के माध्यम से जीवन की अभिव्यक्ति प्रस्तुत करता है। किसी ...

शेर

उद्धरण

ये रचनाएँ पढ़िएँ

रचना चित्र

सभी चित्र देखें

इनकी रचनाएँ पढ़िए
नए पृष्ठ

ई-पत्रिका में प्रकाशित नई रचनाएँ

Thumbnail

4 मई, 2025

Thumbnail

3 मई, 2025

Thumbnail

2 मई, 2025

Thumbnail

2 मई, 2025

Thumbnail

1 मई, 2025

Thumbnail

29 अप्रैल, 2025

Thumbnail

28 अप्रैल, 2025

Thumbnail

26 अप्रैल, 2025

Thumbnail

26 अप्रैल, 2025

Thumbnail

25 अप्रैल, 2025

सभी रचनाएँ देखें
Amit Raj Shrivastava

साहित्यकारों की हर एक रचना, उनकी बेशकीमती सम्पत्ति व एक उपलब्धि है।

अमित राज श्रीवास्तव

संस्थापक (साहित्य रचना)

            

रचनाएँ खोजें

रचनाएँ खोजने के लिए नीचे दी गई बॉक्स में हिन्दी में लिखें और "खोजें" बटन पर क्लिक करें